AN UNBIASED VIEW OF BAGLAMUKHI SHABAR MANTRA

An Unbiased View of baglamukhi shabar mantra

An Unbiased View of baglamukhi shabar mantra

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‘‘जय जय बगला महारानी, अगम निगम की तुम्हीं बखानी, संकट में घिरा दास तुम्हारो,

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Shabar Mantras are believed to have huge ability and might be chanted to get rid of doshas and bring about favourable improvements in a single's lifestyle.

बगलामुखी मूल मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

अस्य : श्री ब्रह्मास्त्र-विद्या बगलामुख्या नारद ऋषये नम: शिरसि।

जीवन से सभी कष्टों को दूर करता है और भक्तों के दिलों और आत्माओं में विश्वास, साहस और दृढ़ संकल्प को निश्चय कर, उन्हें समृद्धि की मार्ग की ओर ले जाता है।

By reciting Shabar Mantras, you can easily draw in positive vibrations for improving the caliber of your daily life.

जो व्यक्ति व्यापार में असफलताओं, आर्थिक परेशानियों, झूठे कानूनी मामलों, निराधार आरोप, कर्ज के मुद्दों, अपने पेशे से जुड़ी समस्याओं आदि का सामना कर रहे हैं, उन्हें बगलामुखी मंत्र को अपनाना चाहिए।



The Bagalamukhi click here mantra consequences keep good importance in Hinduism which is thought to possess potent spiritual Power. The term "mantra" refers to your sacred audio, phrase, or phrase that is repeated during meditation or prayer to invoke spiritual blessings.

A Bagklamukhi Gayatri Mantra is a sacred mantra and is considered to provide The nice blessings with the Goddess Baglamukhi. That is a Fortunate mantra for Gals who get blessed Together with the grace with the goddess.

ॐ बगलामुखी महाक्रूरी शत्रू की जिह्वा को पकड़कर मुदगर से प्रहार कर , अंग प्रत्यंग स्तम्भ कर घर बाघं व्यापार बांध तिराहा बांध चौराहा बांध चार खूँट मरघट के बांध जादू टोना टोटका बांध दुष्ट दुष्ट्रनी कि बिध्या बांध छल कपट प्रपंचों को बांध सत्य नाम आदेश गुरू का।

इन दो बगला-शाबर मन्त्रों के अतिरिक्त भी एक अन्य शाबर मंत्र गुरु-प्रसाद स्वरूप हमें प्राप्त हुआ था, जिसका उल्लेख मैं यहाँ कर रहा हूं। इस मन्त्र का विधान यह है कि सर्वप्रथम भगवती का पूजन करके इस मन्त्र का दस हजार की संख्या में जप करने हेतु संकल्पित होना चाहिए। तदोपरान्त एक निश्चित अवधि में जप पूर्ण करके एक हजार की संख्या में इसका हवन ‘मालकांगनी’ से करना चाहिए। तदोपरान्त तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। तर्पण गुड़ोदक से करें। इस प्रकार इस मन्त्र का अनुष्ठान पूर्ण होता है। फिर नित्य-प्रति एक माला इस मन्त्र की जपते रहना चाहिए। इस मन्त्र का प्रभाव भी अचूक है अतः निश्चित रूप से साधक के प्रत्येक अभीष्ट की पूर्ति होती है। मन्त्र इस प्रकार है

हस्तैर्मुद़गर पाशवज्ररसना सम्बि भ्रति भूषणै

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